HINDI KAVITA . KILLER ANISH.
मेरा प्रेम अवयक्त है
वो प्रेम जो मेरे हृदय में ,
न जाने कब से दबा है ,
आज तक अवयक्त है ,
तू प्रत्यक्ष है।
वो सुकूं जो कब की खो गई ,
तू भी गैर की हो गई ,
आजतक ये सत्य है ,
मेरा प्रेम अवयक्त है ,
तू प्रत्यक्ष है।
अश्रु से भरी हर रात ,
दुःख दर्द की हर बात ,
जीवन भी तो असत्य है ,
मेरा प्रेम अवयक्त है ,
तू प्रत्यक्ष है।
कवि / शायर :- अनीष राज