Monday 15 October 2018

P series 3 मुहब्बत में मजहबी बहाना ।। गजल ।। कविता ।। HINDI POETRY ||

मुहब्बत में मजहबी बहाना और है
गर दिल नहीं लगाना ये फसाना और है ।

तुम समझती हो कि मैं कुछ नहीं समझता
ये समझना और है समझाना और है ।

बुरा हूँ लाख सही सीने में इक दिल है मेरे भी
ये तुम नहीं समझती मैं समझता हूँ और है ।

बस दूर जाना है तुम्हें मुझसे चली जाओ बेशक
हम मर जाएगें तुम्हें क्या ये जमाना और है ।।

शायर / कवि :- अनीष राज
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