Friday 26 October 2018

P series 7 || child marriage|| social evil || balika wadhu || बालिका वधू ।। Hindi kavita || poetry ||

माँग में जब सिंदूर रोती है

तब बालिका वधू होती है

आँखो से आँसू झड़ते है

घरवाले रोते बिफड़ते है

कंठ कंठ भर्राए हुए

होठ होठ थर्राए हुए

यौवन के दहलीज पर

वो बैठी है शरमाए हुए

जब अरमानो की आहूति

हवनकुंड में जलती है

जब सपनो की दुनिया

अंधकार में खोती है

तब बालिका वधू होती है ।।

कुछ होती है विवशता भी

और धन दहेज की चिंता भी

कुछ चिंता होती सम्मान की

बेटी की भविष्य के प्राण की

ना चाहते हुए भी

माँ बाप की बेटी से दूरी होती है

तब बालिका वधू होती है ।।

कौन सोचे नन्ही बिटिया की

कौन सोचे उसकी सुख दुख की

यहाँ आज भी बेटी बोझ है

बेटी माँ की जली हुई कोख है

और माँ की ममता रोती है

तब बालिका वधू होती है।।

Sayar/poet :_  ANISH RAJ.
KILLER ANISH .

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